आज सारे देश में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है . आज देश में मजदूरों के हितों और अधिकारों के बारे में जमकर चर्चा कर लंबे चौड़ी बयानबाजी की जावेगी आज देश की आबादी एक अरब पच्चीस करोड़ हो गई है . भीषण मंहगाई के गरीबी के कारण मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है .
आज भी कई अनपढ़ गंवार मजदूर अपने अधिकारों के प्रति जागरुक नहीं हैं . कम पढ़े लिखे होने के कारण उनका लगातार शोषण किया जा रहा है . आज भी इस देश में कई मजदूर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं . आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण कई मजदूरों के बच्चे बाल मजदूरी करने विवश हैं .
देश के किसी भी सेक्टर में जाकर देखा जाये तो वहां बाल मजदूर काम करते पाए जायेंगें . हमारे देश के पूर्व प्रधान मंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के बच्चो मे देश का सुनहरा उज्जवल भविष्य और सुनहरा कल देखा करते थे .
देश में बच्चो के कल्याण के लिए सरकारी/ गैर सरकारी संघटन काम कर रहे है . ६ से १४ वर्ष के बच्चो के लिए अनिवार्य शिक्षा योजना प्रारम्भ की गई . १४ वर्ष से कम आयु के बच्चो से बाल मजदूरी कराना गैर कानूनी घोषित किया गया पर इसके बाबजूद देश मे निरंतर बाल मजदूर बढ़ रहे है इसका मतलब साफ है कि सरकारी/ गैर सरकारी संस्थाएं देश मे बढ़ते बाल मजदूरों को रोकने मे नाकामयाब रही है इनकी मात्र कागजी खानापूर्ति मे रूचि उजागर होती है .
अपने अधिकारों से अनजान ये बाल मजदूर कही भी पड़ोस मे मुहल्लों मे काम करते देखे जा सकते है या किसी दुकान या होटल मे काम करते देखे जा सकते है . देश मे एक करोड़ बच्चे स्कूल जाने के पहले या स्कूल जाने की उम्र मे कही न कही काम करने जाने लगते है .
मध्यप्रदेश मे ५ लाख से अधिक बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर है वे सर्व शिक्षा के तहत शिक्षा पाने से भी वंचित है वे पढ़ने लिखने से क्यो वंचित है और बाल मजदूरी करने के लिए क्यो मजबूर है इसकी पूर्ण जांच जरुरी है.
इन बच्चो का पढ़ने और लिखने की कूदने की उम्र मे जैसे बचपन छीन लिया गया हो . यदि देखे तो सबसे अधिक बाल मजदूर असंघटित क्षेत्रो से आते है कारण है श्रमिक अपने बच्चो को काम पर अपने साथ ले जाते है . यदि बच्चो को प्राथमिक शिक्षा से दूर रखा गया तो अन्याय शोषण का शिकार होंगे और धीरे धीरे वे अपराध के रास्ते बढ़ जाते है ऐसे मे इन बच्चो को देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने की कल्पना करना दिए को दूर से तेल दिखाना ही है .
देश मे बढ़ते बाल मजदूरों को रोकने की दिशा मे सरकार और गैर सरकारी क्षेत्रो को सार्थक कारगर ठोस प्रयास करने होंगे तबही आज के दिन मजदूर दिवस मनाना सार्थक होगा .
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आज भी कई अनपढ़ गंवार मजदूर अपने अधिकारों के प्रति जागरुक नहीं हैं . कम पढ़े लिखे होने के कारण उनका लगातार शोषण किया जा रहा है . आज भी इस देश में कई मजदूर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं . आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण कई मजदूरों के बच्चे बाल मजदूरी करने विवश हैं .
देश के किसी भी सेक्टर में जाकर देखा जाये तो वहां बाल मजदूर काम करते पाए जायेंगें . हमारे देश के पूर्व प्रधान मंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के बच्चो मे देश का सुनहरा उज्जवल भविष्य और सुनहरा कल देखा करते थे .
देश में बच्चो के कल्याण के लिए सरकारी/ गैर सरकारी संघटन काम कर रहे है . ६ से १४ वर्ष के बच्चो के लिए अनिवार्य शिक्षा योजना प्रारम्भ की गई . १४ वर्ष से कम आयु के बच्चो से बाल मजदूरी कराना गैर कानूनी घोषित किया गया पर इसके बाबजूद देश मे निरंतर बाल मजदूर बढ़ रहे है इसका मतलब साफ है कि सरकारी/ गैर सरकारी संस्थाएं देश मे बढ़ते बाल मजदूरों को रोकने मे नाकामयाब रही है इनकी मात्र कागजी खानापूर्ति मे रूचि उजागर होती है .
अपने अधिकारों से अनजान ये बाल मजदूर कही भी पड़ोस मे मुहल्लों मे काम करते देखे जा सकते है या किसी दुकान या होटल मे काम करते देखे जा सकते है . देश मे एक करोड़ बच्चे स्कूल जाने के पहले या स्कूल जाने की उम्र मे कही न कही काम करने जाने लगते है .
मध्यप्रदेश मे ५ लाख से अधिक बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर है वे सर्व शिक्षा के तहत शिक्षा पाने से भी वंचित है वे पढ़ने लिखने से क्यो वंचित है और बाल मजदूरी करने के लिए क्यो मजबूर है इसकी पूर्ण जांच जरुरी है.
इन बच्चो का पढ़ने और लिखने की कूदने की उम्र मे जैसे बचपन छीन लिया गया हो . यदि देखे तो सबसे अधिक बाल मजदूर असंघटित क्षेत्रो से आते है कारण है श्रमिक अपने बच्चो को काम पर अपने साथ ले जाते है . यदि बच्चो को प्राथमिक शिक्षा से दूर रखा गया तो अन्याय शोषण का शिकार होंगे और धीरे धीरे वे अपराध के रास्ते बढ़ जाते है ऐसे मे इन बच्चो को देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने की कल्पना करना दिए को दूर से तेल दिखाना ही है .
देश मे बढ़ते बाल मजदूरों को रोकने की दिशा मे सरकार और गैर सरकारी क्षेत्रो को सार्थक कारगर ठोस प्रयास करने होंगे तबही आज के दिन मजदूर दिवस मनाना सार्थक होगा .
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19 टिप्पणियां:
vaise hi rahega.. kyonki neta aur afsar badalav chahte hi nahi...
वाह वाह ! बधाई मिश्र जी !
अगर नेहरु ने सच्चे मन से काम किया होता तो देश के यह हाल ना होते, वो सिर्फ़ सपने देखता था....
400 वीं पोस्ट की बधाई। बड़ा ही सामयिक विषय।
बधाई मिस्र जी । इस अवसर पर सार्थक पोस्ट के लिए भी बधाई ।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
400 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई. आपके ब्लॉग से सार्थक आवाज उठाई जा रही है, यह बहुत सुखद है. इसी तरह जारी रहिये. शुभकामनाएँ.
400वीं पोस्ट के साथ मजदूर दिवस पर इस सार्थक चिंतन हेतु बधाई व शुभकामनाएँ...
बहुत-बहुत बधाई! खुदा से दुआ करते हैं यह कारवां यूँ ही निरंतर आगे बढ़ता रहे...
श्रम सम्मान की इस 400 वीं पोस्ट के लिए बधाई.
४०० वीं पोस्ट के लिए बधाई ....सार्थक लेख ...
४०० वीं पोस्ट के लिए बधाई
मजदूर दिवस पर सार्थक चिंतन
400 वीं पोस्ट के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं।
श्रमिक दिवस पर सार्थक चिंतन।
बहुत उपयोगी आलेख!
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पिछले कई दिनों से कहीं कमेंट भी नहीं कर पाया क्योंकि 3 दिन तो दिल्ली ही खा गई हमारे ब्लॉगिंग के!
चौथी शती की बधाई:) दुनिया के मज़दूर [मजबूर] एक हो
बहुत सुन्दर और अम्यिक पोस्ट .. किन्तु एक बात मैं सोचती हूँ कि बाल मजदूरी को रोकने के लिए बच्चों की मजबूरी का इलाज होना चाहिये ..कही ऐसा ना हो बाल मजदूरी रोकने के चक्कर में हम उनके हाथ की रोटी छीन रहे हों ... उनकी रोटी पढाई स्वस्थ घर की सम्पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए ..तब उन्हें मजदूरी से हटाया जाए... ये मेरी पर्सनल ओपिनियन है.. जरूरी नहीं के इस से हर कोई सहमत हो..
400 वीं पोस्ट की बधाई।
आज के दिन को सार्थक करती अच्छी पोस्ट ...
४०० पोस्ट की बधाई ...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 अगस्त 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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